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Court ने ग्राहक और LIC के बीच विवाद सुलझाया, जो LIC पॉलिसी और असाइनमेंट से संबंधित था।

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court resolves Dispute Between Customer and LIC

कोर्ट ने ग्राहक और LIC के बीच विवाद सुलझाया

• बॉम्बे हाई कोर्ट ने LIC पॉलिसी विवाद का निपटारा किया

Unmesh Gujarathi
Sprouts News Exclusive

एक महत्वपूर्ण कानूनी फैसले में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 फरवरी को याचिकाकर्ता साइरस रम्यार सुखेसवाला (Cyrus Ramyar Sukheswala) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के साथ वित्त मंत्रालय के बीच चल रहे विवाद को सुलझा लिया। यह मामला, जो मूल रूप से रिट याचिका (9039-2022) के रूप में दायर किया गया था, LIC पॉलिसी, उसके असाइनमेंट और उससे जुड़े वित्तीय विवादों से संबंधित था।

यह मामला काफी समय से लंबित था, और 21 जनवरी 2025 को हुई पिछली सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने LIC के वकील असीम विद्यार्थी के अनुरोध पर विचार करते हुए इस मुद्दे की पुनः जांच की अनुमति दी थी। इसके बाद, कोर्ट ने मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर दोनों पक्षों को आपसी सहमति से समाधान निकालने का अवसर दिया।

5 फरवरी को हुई अंतिम सुनवाई में, कोर्ट को सूचित किया गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है। समझौते के अनुसार, LIC याचिकाकर्ता साइरस सुखेसवाला को 3,50,000 रुपये का पूरा और अंतिम भुगतान करेगी। यह राशि याचिकाकर्ता द्वारा आवश्यक बैंक खाता विवरण प्रदान करने के बाद LIC के वकील द्वारा दो सप्ताह के भीतर स्थानांतरित की जाएगी।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और समझौते की पुष्टि करने के बाद माना कि अब इस मामले पर आगे सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, याचिका का निपटारा कर दिया गया और किसी भी पक्ष पर कोई अतिरिक्त लागत नहीं लगाई गई।

यह समझौता LIC पॉलिसी से जुड़े इस कानूनी विवाद को समाप्त करता है, जिसमें याचिकाकर्ता और LIC के बीच वर्षों से पत्राचार और अनुस्मारक (रिमाइंडर) भेजे जा रहे थे। यह विवाद कई वर्षों से चला आ रहा था, और सुखेसवाला ने कोर्ट में विभिन्न दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें पॉलिसी के विवरण, असाइनमेंट रिकॉर्ड और LIC के साथ पत्राचार शामिल था।

यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि ऐसे मामलों को समय पर हल करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचा जा सके। कोर्ट के हस्तक्षेप से समझौते की प्रक्रिया तेज हुई और यह सुनिश्चित किया गया कि व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा हो और उन्हें उनके लाभ सही समय पर प्राप्त हों।

इस मामले में शामिल दोनों पक्षों के वकील (याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट हरे कृष्ण मिश्रा और LIC के लिए असीम विद्यार्थी) ने समाधान पर संतोष व्यक्त किया, जिससे एक लंबी कानूनी प्रक्रिया का शांतिपूर्ण अंत हुआ।

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कोर्ट के निर्देश के अनुसार, LIC को अब आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करनी हैं और सुनिश्चित करना है कि अगले दो सप्ताह में सहमत राशि याचिकाकर्ता के खाते में स्थानांतरित कर दी जाए। यह निर्णय दोनों पक्षों के लिए सकारात्मक परिणाम माना जा रहा है, क्योंकि इससे मामले का समाधान बिना किसी अतिरिक्त कानूनी जटिलताओं के हो गया।

यह मामला वित्तीय विवादों को निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से सुलझाने के महत्व को भी दर्शाता है, जहां दोनों पक्ष एक सौहार्दपूर्ण समझौते से लाभान्वित हुए।

शुरुआत में, LIC ने पॉलिसी दस्तावेज में उल्लिखित Maturity Sum Assured पर विवाद किया था। हालांकि, 21 जनवरी 2025 को, दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट की खंडपीठ (न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना) ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया। इसके बाद, LIC ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें विवाद सुलझाने का अवसर दिया जाए। परिणामस्वरूप, 5 फरवरी 2025 को, हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद LIC ने Maturity Sum Assured पर विवाद को सुलझा लिया और मामला निपटा दिया।

यह समाधान साइरस सुखेसवाला की लंबी पीड़ा को समाप्त करता है, जो LIC जीवन सरल पॉलिसी (Jeevan Saral Policy) की बिक्री से प्राप्त Maturity Sum Assured और प्लान नंबर 165 के तहत मिलने वाले लाभों को लेकर हुए विवाद से प्रभावित हुए थे।

आपका लेख बहुत अच्छा है, बस कुछ स्थानों पर भाषा को और स्पष्ट कर दिया गया है ताकि पाठक के लिए पढ़ना आसान हो। यदि आपको और कोई सुधार चाहिए तो बता सकते हैं!

Unmesh Gujarathi
9322755098

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