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नकली पुरस्कार, fake PhD: बढ़ता घोटाला

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Fake phds Fake award

प्रतिष्ठित नाम का दुरुपयोग कर बेचे जा रहे हैं नकली पुरस्कार

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

भारत में नकली (fake) दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Awards) बेचने का घोटाला तेजी से बढ़ रहा है। कई आयोजक भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के इस प्रतिष्ठित नाम का गलत फायदा उठाकर पैसा कमा रहे हैं। कल्याणजी जाना (Kalyanji Jana), कृष्णा चौहान (Krishna Chauhan), किशोर राजपूत (Kishore Rajput), राजू टैंक (Raju Tank) और अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh) जैसे लोग अपनी मनगढ़ंत पुरस्कार समारोह (award ceremonies) चला रहे हैं, जहाँ ₹2,000 से ₹1 लाख तक में पुरस्कार “खरीदा” जा सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये नकली (fake) पुरस्कार (awards) अक्सर उन लोगों को दिए जाते हैं जिनका फिल्म (film) या मनोरंजन उद्योग (entertainment industry) से कोई संबंध नहीं होता, जिससे ये सिर्फ दिखावटी ट्रॉफी (trophies) बनकर रह जाते हैं।

नकली पुरस्कारों के साथ बिक रही हैं fake PhD डिग्रियां

स्प्राउट्स की जांच (Sprouts investigation) में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—इन भव्य पुरस्कार समारोहों (award functions) में नकली मानद पीएचडी डिग्री (fake honorary PhD degrees) भी बेची जा रही हैं। लोग समाज में झूठी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता पाने के लिए नकली डॉक्टरेट डिग्री (doctorate degrees) खरीद रहे हैं।

सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए

भारत सरकार (Government of India) द्वारा प्रदान किया जाने वाला असली दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है। लेकिन ये नकली (fake) पुरस्कार (awards) इसकी प्रतिष्ठा को बुरी तरह नुकसान पहुँचा रहे हैं। स्प्राउट्स (Sprouts) मांग करता है कि सरकार तुरंत इन नकली पुरस्कार आयोजनों (fake award events) पर प्रतिबंध लगाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

नकली पुरस्कारों की ‘कॉम्बो डील’ और होम डिलीवरी

जांच में यह भी सामने आया है कि अब ठग “कॉम्बो डील (combo deals)” भी दे रहे हैं—नकली फाल्के पुरस्कार (fake Phalke award) खरीदो और नकली पीएचडी (fake PhD) पर भारी छूट पाओ! कुछ ठग तो अब इन नकली पुरस्कारों की होम डिलीवरी (doorstep delivery) तक देने लगे हैं।

फर्जी एनजीओ के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा खेल

स्प्राउट्स (Sprouts) ने एक और बड़ा खुलासा किया है—ये नकली पुरस्कार (fake awards) और पीएचडी डिग्री (PhD degrees) मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। आयोजक प्रसिद्ध व्यक्तियों (well-known personalities) या गैर-मौजूद संस्थानों (non-existent institutions) के नाम पर एनजीओ (NGOs) पंजीकृत कराते हैं। तीन साल बाद वे 80G प्रमाणपत्र (80G certification) प्राप्त कर लेते हैं, जिससे दानदाताओं (donors) और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं (award recipients) को कर छूट (tax exemption) मिल जाता है।

इन एनजीओ (NGOs) के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है, जिसमें से कुछ पैसा नकद के रूप में पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं (award recipients) को वापस कर दिया जाता है—एक क्लासिक मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम (money laundering scheme), जिसे परोपकारी गतिविधि (charitable activity) के रूप में पेश किया जाता है।

मुंबई पुलिस को मिला नकली दादासाहेब फाल्के पुरस्कार

एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—कल्याणजी जाना (Kalyanji Jana), जो fake PhD डिग्री (fake PhD degrees) और फर्जी दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (bogus Dadasaheb Phalke Awards) बेचता है, उसने मुंबई पुलिस अधिकारियों (Mumbai Police officials) को अपने नकली पुरस्कार (fake awards) लेने के लिए मजबूर कर दिया। एक स्वयंसेवी संगठन (voluntary organization) के नाम पर उसने एक सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner) और कई वरिष्ठ निरीक्षकों (Senior Inspectors) को नकली सम्मान (fake honor) देकर धोखा दिया।

नकली फाल्के पुरस्कार से जनता को गुमराह किया जा रहा है

हाल ही में, एक साधारण चाय विक्रेता (roadside tea vendor) डॉली द चायवाला (Dolly the Chaiwalla) को दादासाहेब फाल्के आइकॉन पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Icon Award) से सम्मानित किया गया। यह भव्य आयोजन दुबई (Dubai) में 24 जून को हुआ। कागजों पर, यह नकली सम्मान (fake honor) उसे पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor), लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) जैसे दिग्गजों की श्रेणी में रखता है।

लेकिन स्प्राउट्स की जांच (Sprouts investigation) ने इस फर्जी पुरस्कार (fraudulent award) की असलियत उजागर कर दी। पुरस्कार के नाम (award name) को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ठगों ने चालाकी से “आइकॉन (Icon)” शब्द जोड़ दिया है, जिससे यह असली दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) जैसा लगे—जो कि भारत सरकार (Government of India) द्वारा दिया जाने वाला भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान (highest honor in Indian cinema) है।

प्रतिष्ठित नाम ठगों के हाथों में

असली दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information & Broadcasting), भारत सरकार (Government of India) द्वारा दिया जाता है। लेकिन डॉली द चायवाला (Dolly the Chaiwalla) को मिला पुरस्कार (award) ठग कल्याणजी जाना (Kalyanji Jana) द्वारा दिया गया था, जो अपनी टीम के साथ फाल्के नाम (Phalke name) का दुरुपयोग कर नकली पुरस्कार (fake awards) बेच रहा है।

इससे न केवल निर्दोष लोगों को धोखा दिया जा रहा है, बल्कि भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान (most prestigious honor) की विश्वसनीयता (credibility) भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

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