उन्मेष गुजराथी
Sprouts News Exclusive
महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में प्रस्तावित वधावन बंदरगाह परियोजना को लेकर स्थानीय समुदायों, पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। यह परियोजना विवादास्पद व्यवसायी गौतम अडानी और उनके अडानी समूह को सौंपी गई है, जिसके चलते गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक परिणामों की आशंका जताई जा रही है। एक बार फिर Adani की संदिग्ध व्यावसायिक नीतियों और तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे यह चिंता गहराती जा रही है कि कॉर्पोरेट लालच के चलते जनहित की अनदेखी हो रही है।
वधावन बंदरगाह को देश की सबसे बड़ी आधारभूत संरचना परियोजनाओं में से एक बताया जा रहा है, लेकिन इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। स्थानीय मछुआरा समुदायों को डर है कि इस परियोजना से उनकी रोज़ी-रोटी खत्म हो जाएगी। इस बंदरगाह के निर्माण से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका है, जिससे हजारों परिवारों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सरकार आम जनता और पर्यावरण की चिंता छोड़कर केवल कॉर्पोरेट मुनाफे को प्राथमिकता दे रही है।
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Sprouts की खोजी टीम ने इस परियोजना से जुड़े कई अहम दस्तावेजों की जांच की है, जिससे यह सामने आया है कि पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया को बेहद जल्दबाजी में पूरा किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि कोंकण का तटीय क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से बेहद संवेदनशील है, और किसी भी बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट से इसकी जैव विविधता को अपूरणीय क्षति हो सकती है। इसके बावजूद Adani समूह अपने व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है, जबकि पर्यावरणीय खतरों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।
यह परियोजना पारदर्शिता की कमी को लेकर भी कटघरे में है। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने निविदा प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि अडानी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। यह आरोप इस समूह के उस पुराने इतिहास की ओर इशारा करता है, जहां उसने कई सरकारी अनुबंध विवादास्पद परिस्थितियों में हासिल किए हैं। वधावन बंदरगाह परियोजना भी “क्रोनी कैपिटलिज़्म” (crony capitalism) यानी सत्ता और उद्योगपतियों की मिलीभगत का एक और उदाहरण बनती दिख रही है, जहां आम जनता के हितों को दरकिनार कर दिया गया है।
गौतम Adani का अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में विवादास्पद ट्रैक रिकॉर्ड पहले ही इस आंदोलन को और तेज कर चुका है। पर्यावरण नियमों के उल्लंघन से लेकर स्थानीय समुदायों के विस्थापन तक, Adani समूह का नाम कई विवादित परियोजनाओं से जुड़ा रहा है। वधावन बंदरगाह का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों को डर है कि वे भी इस कॉर्पोरेट विस्तारवादी नीति का शिकार बन जाएंगे, जहां मानव और पारिस्थितिकीय नुकसान की परवाह नहीं की जाती।
Sprouts News कोंकण के उन लोगों के साथ खड़ा है, जो अपनी भूमि, आजीविका और पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि गौतम Adani और उनकी नीतियों को उनके द्वारा किए गए नुकसान के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। वधावन बंदरगाह परियोजना केवल विकास का विषय नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की लड़ाई है कि जनता के अधिकारों को कॉर्पोरेट लालच की भेंट न चढ़ने दिया जाए।
उन्मेष गुजरा