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107 एकड़ Adivasi Land घोटाला उजागर

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उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

नवी मुंबई में 107 एकड़ adivasi land की अवैध बिक्री से जुड़े बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस घोटाले में फर्जी आदिवासी प्रमाणपत्र, नकली आधार कार्ड, और जाली संपत्ति दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। संपदा स्थित एक प्रसिद्ध रियल एस्टेट कंपनी ने इस धोखाधड़ी का खुलासा किया। इस मामले में चेतना इलपटे और प्रतिष्ठित नरसी मोंजी ट्रस्ट के सदस्यों सहित छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

फर्जी आदिवासी दावे और जाली दस्तावेज

आरोपियों में चेतना इलपटे (Chetana Ilpate) , अमर खुराना (Amar Khurana), जितेंद्र पुरी (Jitendra Puri), और नरसी मोंजी ट्रस्ट ( Narsee Monjee Trust- NMIMS) के अधिकारी शैलेश गजीवाला (Shailesh Gajiwala) , हितेन शाह (Hiten Shah) और अशोक मुंडे (Ashok Munde) शामिल हैं। इन सभी ने Adivasi Land पर अवैध कब्जा करने और बाद में इसे मुनाफे के लिए बेचने के लिए झूठे आदिवासी दावे किए। विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी ने खालापुर (रायगढ़ जिला, महाराष्ट्र) के निम्बोडे में 107 एकड़ Adivasi Land  के सौदे के दौरान इस घोटाले का पर्दाफाश किया।

सौदा और धोखा

एफआईआर के अनुसार, चेतना इलपटे और उसके साथियों ने विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी के साथ 107 एकड़ Adivasi Land बेचने का समझौता किया। उन्होंने ₹2 करोड़ की अग्रिम राशि ली और कंपनी को सभी आवश्यक अनुमतियां और दस्तावेज उपलब्ध कराने का वादा किया।

लेकिन बाद में आरोपियों ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को टालना शुरू कर दिया और अधिक पैसे की मांग की। विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी को गड़बड़ी की आशंका हुई और उन्होंने दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी।

नरसी मोंजी ट्रस्ट के साथ नई साजिश

अपनी पोल खुलने की आशंका के चलते, चेतना इलपटे ने एक नई साजिश रची और उसी जमीन को नरसी मोंजी ट्रस्ट को बेचने की कोशिश की। विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी के साथ हुए पूर्व समझौते की जानकारी होने के बावजूद, ट्रस्ट के अधिकारियों ने 12 अप्रैल 2024 और 10 जुलाई 2024 को चेतना इलपटे और उनके साथियों के साथ खरीद समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।

कई पीड़ित और जाली सौदे

जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपियों ने नकली दस्तावेज तैयार किए और उसी जमीन को कई खरीदारों को बेचकर करोड़ों रुपये की ठगी की। विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी के संस्थापक विक्रमसिंह पाटणकर ने आरोपियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिससे पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ।

नई शिकायतें और व्यापक असर

यह घोटाला कई व्यक्तियों और संगठनों को विभिन्न शहरों में प्रभावित करता नजर आ रहा है। जांच जारी है और नए मामलों के सामने आने की उम्मीद है। हाल ही में नवी मुंबई के एक डेवलपर ने चेतना इलपटे और उनके साथियों के खिलाफ ₹2 करोड़ की ठगी की शिकायत दर्ज करवाई। कोलकाता में भी ऐसा ही मामला सामने आया है, जो इस घोटाले की व्यापकता को दर्शाता है।

ट्रस्ट अधिकारियों पर गहराया शक

विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी के साथ हुए समझौते की जानकारी होने के बावजूद, नरसी मोंजी ट्रस्ट के अधिकारियों ने आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी खरीद समझौते किए। एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक ट्रस्ट द्वारा ऐसी आपराधिक साजिश में शामिल होना गहरी चिंता का विषय है और कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग करता है।

“हमारे समझौते की जानकारी होने के बावजूद, नरसी मोंजी ट्रस्ट के अधिकारियों ने चेतना इलपटे के साथ इस घोटाले में साझेदारी की। उनका यह व्यवहार न केवल अनैतिक है बल्कि आपराधिक भी है। ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान से इस तरह की हरकत अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
-विक्रम सिंह पाटणकर, संस्थापक, विक्रमेेश एस्टेट एलएलपी

प्रशासन का व्यापक जांच अभियान

पुलिस इस घोटाले की सक्रिय जांच कर रही है, जिसमें अन्य धोखाधड़ी के मामलों की पहचान पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अब तक हुए खुलासे कई शहरों और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े गहरे नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं।

स्प्राउट्स विशेष जांच टीम के इस विशेष अन्वेषण ने यह साबित कर दिया है कि ऐसे धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून और सतर्कता आवश्यक है, खासकर कमजोर आदिवासी समुदायों के मामले में।

नरसी मोंजी ट्रस्ट के चांसलर अमरीश पटेल, मार्केटिंग और पीआर निदेशक बुर्जीन भाटेना और अन्य आरोपी ट्रस्टीज से प्रतिक्रिया लेने की बार-बार कोशिश के बावजूद, कोई जवाब नहीं मिला है।

Unmesh Gujarathi
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