• न्यू इंडिया बैंक में राजनीतिक दबाव और वित्तीय कुप्रबंधन
उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स न्यूज एक्सक्लूसिव
स्प्राउट्स विशेष जांच दल ने न्यू इंडिया बैंक में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें बैंक के अध्यक्ष रंजीत भानु, उनके बेटे हिरेन भानु और BJP MLA’s राम कदम की संलिप्तता सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, यह तीनों आपस में व्यावसायिक रूप से जुड़े हुए हैं, जिससे बैंक में गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन और अनैतिक व्यापारिक लेन-देन की आशंका बढ़ गई है।
• अवैध ऋण और बकाया कर्ज से बैंक पर वित्तीय संकट
आंतरिक सूत्रों के अनुसार, विधायक राम कदम ने बैंक के निदेशक मंडल पर भारी दबाव डालकर कई करोड़ रुपये के ऋण मंजूर करवाए, जो कि बैंकिंग नियमों के पूरी तरह खिलाफ थे। इन राजनीतिक प्रभाव से दिए गए ऋणों की वसूली नहीं हो पाई, जिससे बैंक की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो गई।
स्प्राउट्स न्यूज टीम की गहन जांच में यह भी सामने आया है कि विधायक कदम ने अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग कर बैंक से वित्तीय लाभ प्राप्त किए। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी ही व्यावसायिक संपत्ति को बैंक को अत्यधिक किराए पर दिया, जो कि एक बेहद संदेहास्पद सौदा माना जा रहा है। इस अनुचित व्यवस्था ने बैंक पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डाल दिया, जिससे उसकी आर्थिक स्थिरता और कमजोर हो गई।
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इन भारी ऋणों की वसूली न होने के कारण बैंक की तरलता (Liquidity) और वित्तीय स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हो गई है। बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो बैंक में जमा आम जनता की गाढ़ी कमाई भी खतरे में पड़ सकती है।
• घोटाले पर बढ़ता आक्रोश, जांच की उठी मांग
इस खुलासे के बाद जनता और बैंकिंग नियामकों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। विपक्षी दलों और बैंकिंग विशेषज्ञों ने तत्काल उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग प्रणाली में राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए कठोर नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
रंजीत भानु, हिरेन भानु और विधायक राम कदम से इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, घोटाले में शामिल व्यक्तियों पर कानूनी शिकंजा कसने का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
स्प्राउट्स न्यूज टीम इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है और न्यू इंडिया बैंक के ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस घोटाले से यह स्पष्ट हो जाता है कि बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है, ताकि वित्तीय संस्थान राजनीतिक दबाव और अनैतिक व्यापारिक लाभ से मुक्त रहकर आम जनता की पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।