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स्प्राउट्स ने किया Fake Dadasaheb Phalke Award घोटाले का पर्दाफाश!

fake Dadasaheb Phalke award

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के नाम पर चल रहे एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। इस घोटाले में ठगों का एक गिरोह मोटी रकम लेकर नकली पुरस्कार बेच रहा था। इन अवार्ड्स को असली बताकर कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और सरकारी अधिकारियों तक को ठगा गया।

मुंबई पुलिस ने अनिल मिश्रा और उनके बेटे अभिषेक मिश्रा के खिलाफ इस फर्जीवाड़े के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। यह मामला 5 फरवरी 2025 को भाजपा चित्रपट आघाड़ी के अध्यक्ष समीर पांडुरंग दीक्षित की शिकायत पर बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया। देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों में से एक स्प्राउट्स ने इस घोटाले का खुलासा किया और दिखाया कि कैसे ये Fake Dadasaheb Phalke Award धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे और इसके जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की जा रही थी।

• कैसे चलता था यह नकली अवार्ड घोटाला?

अनिल मिश्रा, जो मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं और मुंबई के मालाड में बस गए, ने अपना करियर स्पॉट बॉय के रूप में शुरू किया था। बाद में, उन्होंने दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड (DPIFF) नामक एक अवैध और गैर-पंजीकृत संस्था बनाई। इस संगठन के तहत, उन्होंने बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस जैसे अवार्ड्स को ऊंची कीमतों पर बेचना शुरू किया। कई ऐसे कलाकार, जिनकी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली थी, इन नकली पुरस्कारों को खरीदकर अपना कद बढ़ाने की कोशिश करते थे।

इस फर्जीवाड़े की पहुंच बॉलीवुड से आगे बढ़कर सरकारी पर्यटन विभागों तक हो गई। मिश्रा ने झूठा दावा किया कि उनके अवार्ड को सरकारी मान्यता प्राप्त है और इस बहाने करोड़ों रुपये के स्पॉन्सरशिप डील्स हासिल किए। उन्होंने अधिकारियों को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया।

स्प्राउट्स की जांच में खुलासा हुआ कि मिश्रा की वेबसाइट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की तस्वीरें डालकर इसे सरकारी मान्यता प्राप्त पुरस्कार दिखाने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं, उन्होंने पीवीआर सिनेमाज, ज़ी-5 और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ फर्जी साझेदारी दिखाकर जनता को गुमराह किया।

• बॉलीवुड सितारे भी फंसे नकली अवार्ड स्कैम में!

यह घोटाला केवल छोटे कलाकारों तक सीमित नहीं था, बल्कि बड़े सितारे भी इसकी जद में आ गए। मिश्रा के नकली संगठन ने फिल्म “जवान” के लिए सुपरस्टार शाहरुख खान को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया। इसी तरह, शाहिद कपूर ने अपनी वेब सीरीज “फर्जी” के लिए बेस्ट एक्टर अवार्ड खरीदा। दिलचस्प बात यह है कि जिस वेब सीरीज का नाम ही “फर्जी” था, उसके लिए मिला अवार्ड भी फर्जी निकला!

जांच में यह भी सामने आया कि मिश्रा का पूरा परिवार इस घोटाले में शामिल था। उनकी पत्नी पार्वती मिश्रा, बेटा अभिषेक मिश्रा और बेटी श्वेता मिश्रा इस धोखाधड़ी को संचालित कर रहे थे। अनिल मिश्रा और अभिषेक मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, और जल्द ही बाकी परिवार पर भी कार्रवाई हो सकती है।

असलFake Dadasaheb Phalke Award, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिए जाते हैं और यह भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है। इसके विपरीत, मिश्रा के नकली पुरस्कार केवल पैसे कमाने का जरिया थे और इनका कोई आधिकारिक मूल्य नहीं था।

• स्प्राउट्स ने फिर किया बड़ा खुलासा!

स्प्राउट्स ने एक बार फिर खोजी पत्रकारिता के दम पर ऐसे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया, जो भारत की फिल्म इंडस्ट्री और सरकारी संस्थानों को गुमराह कर रहा था।

• मुंबई पुलिस ने किया था अनिल मिश्रा को गिरफ्तार!

31 अक्टूबर 2014 को, मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अनिल मिश्रा को गिरफ्तार किया था। वह सुरक्षा घेरा तोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब पहुंच गया था। इस घटना के बाद, पुलिस ने सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के आरोप में उसे हिरासत में लिया था। हालांकि, बाद में उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।

• बांद्रा पुलिस ने अनिल मिश्रा और अभिषेक मिश्रा पर दर्ज की FIR!

5 फरवरी 2025 को, बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर नंबर 2025 के तहत अनिल मिश्रा और अभिषेक मिश्रा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023) की धारा 318(4) और 319(2) के तहत मामला दर्ज किया गया।

• अन्य मीडिया हाउस की चुप्पी पर सवाल

जहां स्प्राउट्स इस घोटाले का खुलासा कर रहा था, वहीं कई बड़े मीडिया हाउस इस पर चुप्पी साधे बैठे थे। यह सवाल उठता है कि क्या बड़े मीडिया संस्थान इस फर्जीवाड़े को नजरअंदाज कर रहे थे या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा खेल था?

• भारत में नकली पुरस्कारों का बढ़ता बाजार

यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी ने फर्जी अवार्ड्स के नाम पर लोगों को ठगा हो। इससे पहले भी कई अवार्ड समारोहों में पैसे लेकर पुरस्कार दिए जाने के आरोप लगे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या भारत में अवार्ड्स की विश्वसनीयता पर अब सवाल खड़ा हो चुका है

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