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Ghatkopar hoarding हादसा: प्रशासनिक विफलता का नतीजा

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Ghatkopar Hoarding

• स्प्राउट्स SIT जांच में हुआ खुलासा: होर्डिंग स्वीकृति प्रक्रिया में लापरवाही

• स्प्राउट्स SIT ने उजागर की Ghatkopar hoarding हादसे के पीछे की चौंकाने वाली सच्चाई

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स न्यूज़ एक्सक्लूसिव

स्प्राउट्स स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 13 मई, 2024 को घाटकोपर में हुए भीषण Ghatkopar hoarding हादसे से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और भारी संपत्ति का नुकसान हुआ। जांच में प्रशासनिक चूक पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

यह त्रासदी उस समय घटी जब घाटकोपर के एक BPCL पेट्रोल पंप के पास रेलवे जमीन पर लगे विशालकाय 120’ x 140’ (दोनों ओर) के होर्डिंग, कुल 33,600 वर्ग फुट आकार के, तेज हवाओं के कारण गिर गए। यह विशाल ढांचा अनुमेय सीमाओं से परे बनाया गया था, जबकि पेट्रोल पंपों पर होर्डिंग का अधिकतम आकार 80 से 200 वर्ग फुट तक सीमित है।

• इसे मंजूरी किसने दी?

स्प्राउट्स SIT ने अपनी जांच में पाया कि:

– खालिद कैसर के रेलवे-GRP पुलिस आयुक्त के कार्यकाल (16 फरवरी, 2021 से 19 दिसंबर, 2022) के दौरान इतनी बड़ी Ghatkopar hoarding के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी।

– कैसर ने केवल BPCL के 13 अगस्त, 2021 के दिशा-निर्देशों के अनुसार 200 वर्ग फुट तक के डिजिटल होर्डिंग की अनुमति दी थी।

– उनके कार्यकाल के अंतिम दिन, 19 दिसंबर, 2022 को, उन्होंने BPCL के एक लोगो पोल को स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी।
– 33,600 वर्ग फुट के होर्डिंग की अनुमति 7 फरवरी, 2023 को उनके उत्तराधिकारी रवींद्र शिशवे द्वारा दी गई थी, जब कैसर पद छोड़ चुके थे।

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• दस्तावेज़ों में खुलासा: BPCL की आपत्तियों की अनदेखी

Sprouts SIT को मिले दस्तावेजों के अनुसार, BPCL ने होर्डिंग निर्माण को लेकर आपत्तियां जताई थीं। हालांकि, उस समय के जिम्मेदार अधिकारियों ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया। इतनी विशाल संरचना के बावजूद, इसे चरम मौसम की परिस्थितियों को सहने के लिए मजबूती से तैयार नहीं किया गया था, जिससे यह हादसा एक इंतजार करती त्रासदी बन गया।

• राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर लीपापोती?

स्प्राउट्स टीम का कहना है, “यह साफ तौर पर हेराफेरी का मामला है। पूर्व आयुक्त के कार्यकाल के दौरान होर्डिंग के आकार को कभी अंतिम रूप नहीं दिया गया था। 33,600 वर्ग फुट के ढांचे की मंजूरी उनके तबादले के बाद ली और दी गई। इसके बावजूद उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि असली जिम्मेदार लोग बच निकले हैं।”

• आगे क्या? जांच जारी है

इस घटना को लेकर जनता में बढ़ते आक्रोश के बीच, त्रासदी की ओर ले जाने वाली मंजूरियों की पारदर्शी जांच की मांग तेज हो रही है। स्प्राउट्स न्यूज़ से जुड़े कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में आपराधिक लापरवाही के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

• न्याय की तलाश: निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए स्प्राउट्स की प्रतिबद्धता

जांच जारी है और पीड़ितों के परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। स्प्राउट्स अपने पाठकों को निष्पक्ष और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे बाहरी दबाव कोई भी हो।

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