शिकायतों के समाधान में पारदर्शिता की कमी
उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव
महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिट(MahaRERA), जिसे घर खरीदारों के अधिकारों की रक्षा और रियल एस्टेट लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था, अब भ्रष्टाचार के आरोपों और खरीदारों की शिकायतों को अनदेखा करने के कारण आलोचना के घेरे में है। विशेष रूप से लोखंडवाला, कांदिवली ईस्ट स्थित
गोदरेज नेस्ट प्रोजेक्ट (Godrej Nest) को लेकर बिल्डरों के खिलाफ शिकायतें बढ़ रही हैं। खरीदारों का आरोप है कि प्राधिकरण बिल्डरों के पक्ष में पक्षपाती है और अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है।
MahaRERA पर मुख्य आरोप
बिल्डरों के पक्ष में झुकाव
फ्लैट खरीदारों का आरोप है कि महारेरा बार MahaRERA-बार बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ा देता है, जबकि खरीदारों पर वित्तीय और मानसिक बोझ बढ़ता जाता है। खरीदार इन समय-सीमा विस्तारों को स्वीकार करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे उन्हें ईएमआई, किराए और अन्य खर्चों का सामना करना पड़ता है। महारेरा (MahaRERA) की ओर से बिल्डरों को देरी के लिए मुआवजा देने की कोई जवाबदेही नहीं दिखाई देती।
स्पष्टता और जवाबदेही की कमी
प्रोजेक्ट विस्तार को मंजूरी देने के लिए MahaRERA द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया का अभाव है। खरीदार सवाल उठाते हैं कि बिल्डरों को कुछ शर्तों (जैसे समय पर निर्माण पूरा करना या देरी के लिए मुआवजा देना) के साथ मंजूरी क्यों नहीं दी जाती। इस कमी के कारण खरीदारों का शोषण होता है।
शिकायतों के प्रति उदासीन रवैया
खरीदारों का कहना है कि कई शिकायतें और पत्राचार करने के बावजूद महारेरा उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं देता, जिससे उनके हितों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता पर सवाल उठते हैं।
गोदरेज नेस्ट मामला: विश्वासघात का उदाहरण?
गोदरेज नेस्ट प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदारों ने गोदरेज प्रॉपर्टीज (Godrej Properties) लिमिटेड और शिवम मेगा स्ट्रक्चर द्वारा अनैतिक कार्यों का आरोप लगाया है। 500 से अधिक खरीदारों की शिकायतों से गंभीर स्थिति उजागर होती है:
मूल्य निर्धारण पर गलत वादे
बुकिंग के समय खरीदारों से ऑल-इंक्लूसिव मूल्य का वादा किया गया, लेकिन बाद में उन्हें लैंड अंडर कंस्ट्रक्शन (LUC) शुल्क जैसे अप्रत्याशित शुल्कों का सामना करना पड़ा, जिनका पहले कोई उल्लेख नहीं किया गया था।
अधूरी सुविधाओं के साथ विलंबित कब्जा
खरीदारों ने समय पर डिलीवरी और विश्वस्तरीय सुविधाओं के लिए प्रीमियम दरें चुकाईं, लेकिन उन्हें अधूरे फ्लैट सौंपे गए, जिनमें कई महत्वपूर्ण सुविधाएं अब भी निर्माणाधीन हैं।
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अनुचित ब्याज शुल्क
खरीदारों पर देरी से भुगतान के लिए भारी जुर्माना लगाया गया, जबकि देरी का कारण खुद बिल्डरों की आवश्यक अनुमतियां न लेना था। कोविड-19 महामारी के दौरान भी बिल्डरों ने अनुचित ब्याज शुल्क लगाकर खरीदारों की आर्थिक कठिनाइयों का फायदा उठाया।
परियोजना योजनाओं में बदलाव
प्रारंभिक समझौतों में नौ मंजिला पोडियम पार्किंग और अन्य सुविधाओं का वादा किया गया था, लेकिन बिल्डरों ने इसे सात मंजिला कर दिया और अतिरिक्त जगह का लाभ फ्लैट्स में बदलकर मुनाफा कमाया। खरीदारों का आरोप है कि MahaRERA ने इन बदलावों को उनकी सहमति के बिना मंजूरी दी।
स्प्राउट्स की जांच: तंत्र की पोल खोलना
स्प्राउट्स स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, जिसे उन्मेष गुजराथी ने नेतृत्व दिया, ने महारेरा के संचालन में चिंताजनक पैटर्न उजागर किए हैं। प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों पर बिल्डरों के साथ मिलीभगत, खरीदारों की शिकायतों की अनदेखी और न्याय के बजाय वित्तीय लाभ को प्राथमिकता देने के आरोप हैं।
खरीदारों की मांग: जवाबदेही सुनिश्चित हो
MahaRERA अध्यक्ष को लिखे एक पत्र में, खरीदारों ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं:
* बिना मुआवजे के प्रोजेक्ट विस्तार क्यों दिए जाते हैं?
* बिल्डरों पर समझौतों का उल्लंघन करने के लिए जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाता?
* छिपे हुए शुल्क, जैसे LUC शुल्क, से खरीदारों को बचाने के लिए कोई तंत्र क्यों नहीं है?
* परियोजना योजनाओं में बदलाव जैसे अनैतिक कार्यों पर MahaRERA चुप क्यों है?
सुधार की मांग
गोदरेज नेस्ट (Godrej Nest) के खरीदार और अन्य पीड़ित अब सार्वजनिक हित याचिका (PIL) दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं ताकि MahaRERA में सुधार हो सके। वे सख्त नियम, बिल्डरों की अधिक जवाबदेही और खरीदारों के प्रति केंद्रित दृष्टिकोण की मांग कर रहे हैं।
आगे का रास्ता
स्प्राउट्स इन्वेस्टिगेशन टीम महारेरा से आग्रह करती है कि:
– लंबित शिकायतों का स्वतंत्र ऑडिट किया जाए।
– प्रोजेक्ट विस्तार के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश लागू किए जाएं।
– छिपे हुए शुल्क या देरी का बोझ खरीदारों पर न पड़े, इसके लिए तंत्र स्थापित हो।
– बुकिंग प्रक्रिया के दौरान किए गए वादों का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों को जवाबदेह ठहराया जाए।
महारेरा को घर खरीदारों के लिए उम्मीद की किरण के रूप में देखा गया था, लेकिन इसकी विश्वसनीयता अब खतरे में है। जैसे-जैसे शिकायतें बढ़ रही हैं और विश्वास घट रहा है, तंत्र में सुधार के लिए त्वरित कदम उठाना आवश्यक है। यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो MahaRERA खरीदारों के अधिकारों की रक्षा करने वाले प्राधिकरण के बजाय अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा देने वाले के रूप में देखा जाएगा।
अब गेंद महारेरा के पाले में है। क्या यह मौके का लाभ उठाकर अपनी छवि सुधारेगा, या भ्रष्टाचार और अक्षमता को अपने उद्देश्य पर हावी होने देगा?
Unmesh Gujarathi
Editor in Chief
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