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Megha Engineering पर कथित धोखाधड़ी के मामलों को लेकर कानूनी संकट

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Megha Engineering कानूनी संकट में

• धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संबंधों के आरोप

• एमईआईएल की फर्जी बैंक गारंटी और राजनीतिक संबंधों की जांच के घेरे में

• Megha Engineering विवाद गहराया: धोखाधड़ी, रिश्वत और मीडिया प्रभाव को लेकर सीबीआई जांच की मांग

•Megha Engineering पर कथित धोखाधड़ी के मामलों को लेकर कानूनी संकट

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स न्यूज़ एक्सक्लूसिव

हैदराबाद स्थित Megha Engineering एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) एक बड़े कानूनी संकट में घिर गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार वी. रवि प्रकाश द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के बाद कंपनी की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इस याचिका में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की गई है। आरोप है कि MEIL ने मुंबई के बोरीवली-ठाणे अंडरग्राउंड ट्विन टनल प्रोजेक्ट (₹16,600 करोड़) के लिए फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इस मामले को चीफ जस्टिस आलोक अर्दे और जस्टिस भारती एच. डांगरे की पीठ के समक्ष उठाया, जिसके बाद कोर्ट ने अगले सप्ताह सुनवाई तय की है।

इस PIL के मुख्य आरोप MEIL द्वारा यूरो एक्जिम बैंक से जारी बैंक गारंटी को लेकर हैं। यह बैंक सेंट लूसिया में स्थित है और इंग्लैंड और वेल्स के कानूनों के तहत पंजीकृत है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसे मान्यता प्राप्त विदेशी बैंक नहीं मानता। इस कारण इन बैंक गारंटियों को अवैध बताया गया है। याचिका के अनुसार, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) ने MEIL के पक्ष में इन गारंटियों को स्वीकार किया, जिससे कंपनी को यह महत्वपूर्ण टनल प्रोजेक्ट हासिल करने में मदद मिली।

यह पहली बार नहीं है जब MEIL पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं। अप्रैल 2024 में, CBI ने MEIL, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) और MECON के अधिकारियों के खिलाफ ₹315 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले में केस दर्ज किया। आरोप है कि MEIL ने जगदलपुर स्टील प्लांट में किए गए कार्यों के लिए ₹174 करोड़ के बिल को मंजूरी दिलाने के लिए ₹78 लाख की रिश्वत दी थी। इस मामले में NMDC और MECON के कुल 10 अधिकारियों के नाम FIR में दर्ज हैं, जिससे कंपनी के कार्यों में गड़बड़ी का एक बड़ा पैटर्न सामने आया है।

MEIL की राजनीतिक फंडिंग को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा मार्च 2024 में जारी आंकड़ों के अनुसार, MEIL इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी। कंपनी ने कुल ₹966 करोड़ के बॉन्ड खरीदे, जिसमें से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ₹586 करोड़, भारत राष्ट्र समिति (BRS) को ₹195 करोड़, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को ₹85 करोड़ और वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) को ₹37 करोड़ का चंदा दिया। इन बड़े पैमाने पर किए गए राजनीतिक दान ने यह आशंका बढ़ा दी है कि कहीं कंपनी और इन राजनीतिक दलों के बीच कोई गुप्त समझौता तो नहीं हुआ।

MEIL के नेतृत्व में प्रमुख व्यक्ति पमिरेड्डी पिची रेड्डी (कार्यकारी अध्यक्ष) और सुधा रेड्डी (निदेशक) शामिल हैं। पमिरेड्डी पिची रेड्डी ने 1989 में इस कंपनी की स्थापना की और इसे नवीकरणीय ऊर्जा, सिंचाई, विद्युत और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में विस्तारित किया। सुधा रेड्डी, जो कि पी. वी. कृष्ण रेड्डी की पत्नी हैं, कंपनी की सामाजिक गतिविधियों और सामुदायिक जुड़ाव को संभालती हैं।

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2018 में, MEIL ने पी. वी. कृष्ण रेड्डी के नेतृत्व में मीडिया सेक्टर में कदम रखते हुए TV9 न्यूज चैनल में निवेश किया। यह निवेश My Home Group के प्रमोटर्स के साथ मिलकर किया गया, जिससे चैनल के स्वामित्व ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। इसे MEIL की व्यावसायिक रणनीति का हिस्सा माना जाता है, लेकिन इसके पीछे छिपे उद्देश्यों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

• स्प्राउट्स विशेष जांच दल (SIT) ने किया MEIL-Tv9 गठजोड़ का पर्दाफाश

स्प्राउट्स विशेष जांच दल (Sprouts SIT)Megha Engineering और उसकी सहयोगी मीडिया संस्था TV9 की संदिग्ध गतिविधियों का कड़ा विरोध करता है। MEIL द्वारा किए गए कथित वित्तीय घोटालों और फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े खुलासे यह संकेत देते हैं कि कंपनी का मीडिया में निवेश भी संदेह के घेरे में है। स्प्राउट्स विशेष जांच दल मानता है कि TV9 को भी गहन जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए, क्योंकि इसे एक ऐसे कॉर्पोरेट समूह से वित्तीय सहायता मिली है, जिस पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं।

MEIL का TV9 में निवेश एक सुनियोजित प्रयास प्रतीत होता है, जिससे कंपनी अपने कथित अवैध कार्यों को मीडिया से बचा सके। यह मीडिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है कि जब किसी समाचार संगठन के स्वामित्व में स्वयं एक संदिग्ध कॉर्पोरेट समूह शामिल हो, तो क्या वह निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर सकता है? स्प्राउट्स विशेष जांच दल मांग करता है कि MEIL की वित्तीय गतिविधियों और TV9 के साथ उसके संबंधों की विस्तृत जांच हो ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या मीडिया प्लेटफॉर्म को कंपनी के संदिग्ध व्यापारिक लेन-देन को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

जैसे-जैसे कानूनी कार्यवाही आगे बढ़ रही है, स्प्राउट्स विशेष जांच दल सच उजागर करने और भ्रष्ट कॉर्पोरेट संस्थाओं व उनके मीडिया सहयोगियों को जवाबदेह ठहराने के अपने संकल्प पर कायम रहेगा। जनता को पारदर्शिता का अधिकार है, और स्प्राउट्स न्यूज़ ऐसे प्रभावशाली लोगों का पर्दाफाश करना जारी रखेगा जो अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर अनैतिक लाभ उठाते हैं

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