सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
• याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की दी अनुमति
• कुंभ मेला भगदड़ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
Unmesh Gujarathi
Sprouts News Exclusive
हाल ही में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 3 फरवरी को उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ पिछले सप्ताह Maha Kumbhमेले के दौरान हुई दुखद भगदड़ को लेकर कार्रवाई की मांग की गई थी। यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर की थी। कोर्ट ने तिवारी को सलाह दी कि वह इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख करें। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि यह घटना निःसंदेह दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है, लेकिन इस पर पहले से ही एक न्यायिक आयोग द्वारा जांच की जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि इस घटना की जांच चल रही है और इसी प्रकार की एक याचिका पहले ही हाई कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए तिवारी को यह स्वतंत्रता दी कि वे इस मामले को हाई कोर्ट में ले जा सकते हैं।
तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही को उजागर किया गया था, जिसमें भीड़ प्रबंधन में विफलता और प्रशासनिक चूक को इस भगदड़ का कारण बताया गया। याचिका में Maha Kumbhऔर ऐसे अन्य धार्मिक आयोजनों में “भक्त सहायता प्रकोष्ठ” (Devotee Aid Cell) के गठन और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर भीड़ प्रबंधन नीतियों के कार्यान्वयन की मांग की गई थी।
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• Maha Kumbhमेला त्रासदी: बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग
यह दुखद भगदड़ 29 जनवरी की सुबह संगम के पवित्र स्नान स्थल पर हुई, जिसमें कम से कम 30-39 लोगों की जान चली गई। याचिका में कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया कि वह सभी राज्यों को बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए नियम बनाने और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से विभिन्न राज्यों से चिकित्सा सहायता टीमों की तैनाती के निर्देश दे।
• मामले का विवरण:
विशाल तिवारी बनाम भारत संघ एवं अन्य
W.P.(C) No. 86/2025
यह घटना धार्मिक आयोजनों में बेहतर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर करती है और इस पर चल रही कानूनी प्रक्रिया भविष्य में Maha Kumbh मेला जैसे बड़े आयोजनों के लिए नीतियों को आकार दे सकती है।
• कुंभ मेले में भगदड़ों का इतिहास
यह दुखद घटना पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कुंभ मेले के दौरान कई बार भगदड़ की घटनाएं हुई हैं, जिससे भीड़ प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठे हैं।
– 2013: इलाहाबाद कुंभ मेले में भगदड़ के कारण 36 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
– 1954: हरिद्वार कुंभ मेले में एक भीषण भगदड़ में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
हालांकि समय-समय पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बैरिकेड्स, चिकित्सा सुविधाएं और बेहतर पुलिस प्रबंधन जैसे उपाय किए गए हैं, लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण सुरक्षा सुनिश्चित करना अभी भी एक चुनौती है।
• नासिक कुंभ मेला 2003
2003 का कुंभ मेला नासिक में आयोजित किया गया था। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां साधुओं ने चांदी के सिक्के बांटना शुरू किया, जिससे सिक्के इकट्ठा करने की होड़ मच गई और भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इस घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को लगातार मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियों से बचा जा सके।