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खावड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क पर National security को लेकर चिंता

National security concerns

• सीमा सुरक्षा बनाम हरित ऊर्जा: खावड़ा विवाद उजागर

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स न्यूज़ एक्सक्लूसिव

Sprouts News की विशेष जांच टीम ने Gujarat के Khavda Renewable Energy Park को लेकर गंभीर National security चिंताओं का खुलासा किया है। हालिया घटनाक्रम ने National security प्रोटोकॉल और कॉर्पोरेट हितों के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, Indian Government ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए India-Pakistan Border के निकट सुरक्षा उपायों में ढील दी है। यह परियोजना Adani Group को सौंपी गई है।

Khavda Plant, जो दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना बनने जा रहा है, संवेदनशील India-Pakistan Border के पास स्थित है। आम तौर पर, सुरक्षा कारणों से सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में बड़े निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध होता है। हालांकि, मई 2023 में Defence Ministry ने इन दिशानिर्देशों में संशोधन किया, जिससे सौर पैनल और पवन टरबाइन को सीमा से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित करने की अनुमति दी गई। इस नीति परिवर्तन ने रक्षा विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चिंता बढ़ा दी है।

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आलोचकों का कहना है कि सीमा के इतने करीब बुनियादी ढांचे का निर्माण National securityसे समझौता कर सकता है। एक पूर्व सैन्य प्रमुख ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय सीमा के इतने पास किसी भी बड़े बुनियादी ढांचे में निवेश करना मुझे बेहद अविवेकी निर्णय लगता है।” रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला ने भी चेतावनी दी कि “वाणिज्यिक लाभ के लिए सीमा सुरक्षा नियमों में बदलाव सरकार पर कॉर्पोरेट पक्षपात के आरोप लगा सकता है।”

Adani Group ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परियोजना सभी सरकारी नियमों का पालन कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि भूमि आवंटन नीति दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है और Adani Group भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी के रूप में अपनी साख के आधार पर इस परियोजना को संचालित कर रहा है।

इस मुद्दे के राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर Modi Government की कड़ी आलोचना की है। Congress सांसद मणिकम टैगोर ने हाल ही में Lok Sabha में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें Khavda Project के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील देने पर चर्चा की मांग की गई। उन्होंने सरकार पर सैन्य सलाह और National security मानकों की अनदेखी कर कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।

Sprouts News को सूत्रों से जानकारी मिली है कि सरकार के भीतर इस परियोजना की सुरक्षा समीक्षा को लेकर आंतरिक चर्चा चल रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पुष्टि की कि “संवेदनशील सीमा क्षेत्रों के पास ऊर्जा अवसंरचना से जुड़े संभावित खतरों का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है।”

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